भारतीय सेना की एक महिला अधिकारी ने कुछ वरिष्ट अधिकारियों पर यौन शोषण का आरोप लगाया है. जैसा वह कह रही हैं उस से लगता है कि उन का आरोप सही है. सेना ने, जैसा स्वभाविक है, इस आरोप को नकार दिया है. जब बात अखबारों में आई तब रक्षा मंत्री ने इस शिकायत पर जांच के आदेश दिए हैं. पर जांच उन्हीं उच्च अधिकारियों को सौंपी गई है जो उसे नकार चुके हैं और जिन्होनें इस महिला अधिकारी पर अपनी और से ही आरोप लगाने शुरू कर दिए थे.
कुछ समय पहले भी ऐसा हुआ था पर उस समय महिला अधिकारी का ही कोर्ट मार्शल कर दिया गया था. मुझे डर है कि कहीं इस बार भी ऐसा ही न हो. मुझे इस बात पर भी आश्चर्य है कि ब्लाग्स पर किसी प्रगतिशील नारी ने यौन शोषण पर कोई टिपण्णी नहीं दर्ज की. क्या बात है? यह खामोशी क्यों है?