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Wednesday, July 23, 2008

एक पुरूष द्बारा नारी की तलाश

में एक पुरूष हूँ,
तलाश है मुझे एक नारी की,
जो मुझे पूर्णत्व प्रदान कर सके,
शास्त्र कहते हैं गुरु बिना मुक्ति नहीं,
में पुरूष ख़ुद में अधूरा हूँ,
न ही कोई गुरु मिला मुझे,
नारी पुरूष की पूरक है,
वह मुझे पूर्णत्व प्रदान कर सकती है,
और जो मुझे पूर्ण बनाएगा,
वह ही मेरा गुरु होगा.

4 comments:

Anonymous said...

bhut badhiya rachana. ek gahari baat ke sath. sundar.

vijaymaudgill said...

और जो मुझे पूर्ण बनाएगा,
वह ही मेरा गुरु होगा।
क्या बात है गुप्ता जी, बहुत ही ख़ूब लिखा। सच में दिल में उतर गई रचना आपकी।

डॉ .अनुराग said...

sahi kah rahe hai guruji....

राज भाटिय़ा said...

सुरेश जी बहुत सुन्दर ओर सच्ची रचना,धन्यवाद