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Tuesday, July 29, 2008

नारी और पुरूष दोनों बराबर हैं

भारतीय समाज का केन्द्र बिन्दु परिवार है. जब कोई पुरूष या नारी स्वयं को समाज का केन्द्र बिन्दु मानकर परिवार की अवहेलना करता है तब परिवार टूटता है और उस के साथ टूटता है समाज. पुरूष और नारी परिवार/समाज की गाढ़ी के दो पहिये हैं. जब तक यह दोनों पहिये एक साथ नहीं चलेंगे गाढ़ी ठीक से नहीं चलेगी.

भारतीय समाज पुरूष प्रधान समाज है. आज जब की नारी हर छेत्र में न केवल पुरूष की बराबरी कर रही है बल्कि कहीं उस से आगे भी निकल रही है, यह जरूरी हो गया है कि नारी को वह सब अधिकार और सुविधाएं मिलें जिनकी वह अधिकारिणी है. पर यह सब परिवार की परिधि में रह कर ही किया जाना चाहिए.

नारी और पुरूष दोनों बराबर हैं. वह एक दूसरे के पूरक हैं. दोनों को समान अधिकारों के साथ अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक कर्तव्य पूरे करने हैं. यह तभी सम्भव हो पायगा जब दोनों के बीच में कोई भी अन्तर नहीं रहेगा.

3 comments:

Anonymous said...

bhut sahi kaha hai aapne dono ek dusare ke purak hai. bhut badhiya lekh. jari rhe.

Satish Saxena said...

बहुत अच्छा लिखा है !

राज भाटिय़ा said...

सुरेश जी यह तो हमेशा से ही होता आ रहा हे पुरुष नारी के बिना कुछ नही, बचपन से लेकर आखरी दम तक नारी ही तो सहारा देती हे, नारी ही पुरुष की ताकत हे, नारी बराबर की नही उस से जयादा हक दार हे, मां के रुप मे, बहिन के रुप मे, बेटी के रुप मे, बीबी के रुप मे, हर रुप मे, लेकिन जब यही नारी ककेयी,ताडका ओर होलिका के रुप मे आती हे तो .....एक नारी ही पुरुष की जिन्दगी बनाती ओर बिगाडती हे
धन्यवाद एक सच्चे ओर अच्छे लेख के लिये.