आज अखबार में एक लेख पढ़ा. लेख उन महिलाओं पर है जिन्होनें या तो शादी नहीं की या शादी के बाद पति की म्रत्यु या तलाक के कारण फ़िर अकेली हो गईं, पर कैसे उन्होंने अपनी जिंदगी के इस अकेलेपन को भर लिया और जीवन का पूरा आनंद उठा रही हैं. आप में से अगर कोई इस लेख को पढ़ना चाहें तो उन्हें आज के टाइम्स आफ इंडिया के दूसरे पन्ने पर जाना होगा.
यह महिलायें सिंगल हैं, सफल हैं और अपनी इच्छा से मां बनी हैं. उन्होंने शादी की संस्था पर विश्वास नहीं किया और बच्चों को गोद लेकर मां और पिता दोनों का कर्तव्य पूरा किया. आज वह बहुत खुश हैं. उनका परिवार खुश है. आप ख़ुद ही देख लीजिये.
यह लेख गोद लेने की कानूनी धाराओं पर भी प्रकाश डालता है.
Thursday, August 7, 2008
क्या शादी जरूरी है जीवन की सम्पूर्णता के लिए?
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